पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है?
जब महिला किसी बच्चे को जन्म देती है। तो वह सबसे ज्यादा खुश होती है, खुशी के साथ-साथ चिंता और थाकान भी होती है। डिलीवरी के बाद एक महिला के शरीर में बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव आते है, शरीर में हार्मोन इतनी तेजी से बदल रहे हैं कि उसको समझ ही नहीं आता कि वह समय खुश हो रही है या तकलीफ में है। यही बाद में पोस्टपार्टम डिप्रेशन बन जाती है जिसको सही समय पर पहचान मिलने के बाद इलाज कराना भी जरूरी है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण।
- महिला को सोने में तकलीफ होगी जब बच्चा सो रहा होगा तब भी वह अच्छे से सो नहीं पायेगी।
- ध्यान केन्द्रित करने में बहुत ही मुश्किल होगी चीजों को याद रखना किसी भी पहेली को सुलझाना बहुत मुश्किल लगेगा।
- भूख या तो बहुत कम लगेगी या बहुत ज्यादा लगेगी जिस से शरीर के वजन में बदलाव दिखने लगेंगे।
- कई बार तो महिला खुद को नुक्सान करने की कोशिश भी करती है या आत्महत्या के ख्याल उसके मन में आने लगते हैं।
- अक्सर देखा गया है कि बच्चा होने के बाद महिलाएं अपने खाने पीने और सोने का अच्छे से ध्यान नहीं रखतीं जिस से की महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन से दूर रह सके।
- हमेशा उदास रहना खुद को अपने परिवार और दोस्तों से अलग कर लेना।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन कैसे कम करें।
- सबसे पहले एक महिला को पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में पहले से ही पता होना चाहिए ताकि उसके लक्षण दिखते ही वह अपना इलाज सही समय पर शुरू कर सके।
- संतुलित आहार लेना, पूरी नींद लेना और डॉक्टर को समय समय पर मिलाने से महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन से दूर रह सकती है।
- अपने परिवार और दोस्तों से खुलकर बात कर के महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन से दूर रह सकती है।
- अपने व्यस्त घर की जिंदगी से समय निकाल कर और अपनी नौकरी से समय निकाल कर एक महिला को अपने लिए ME Time निकालना चाहिए ताकी महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन से दूर रह सके।
विशेषज्ञ की सलाह
याद रखें कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक इलाज योग्य स्थिति है, और सही उपचार के साथ, महिलाएं ठीक हो जाती हैं। विशेषज्ञ की सलाह लेना आपके और आपके बच्चे दोनों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।